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Buddh poornima बुद्ध पूर्णिमा

Buddh poornima : बुद्ध पूर्णिमा कब है ?
प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की तरीक से अगले दिन बुध पूर्णिमा मनाई जाती है। इस बार 23 मई को वैशाख पूर्णिमा है, जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते है। हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक , बुद्ध भगवान का जन्म वैशाख पूर्णिमा की तरीक को हुआ था।

बुद्ध पूर्णिमा क्या है ?

बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म को मानने वालों का एक मुख्य त्यौहार है। जिसे बैसाख के महीने की पूर्णिमा को मनाते है। बुद्ध पूर्णिमा पर ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी।

और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था ,563 ईसा पूर्व बैसाख मास की पूर्णिमा को इनका जन्म लुंबिनी, शाक्य राज्य (अब नेपाल) में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 463 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में ‘कुशनारा’ में में उनका महापरिनिर्वाण ( भौतिक अस्तित्व और उसके कष्टों से मुक्ति प्राप्त की। वर्तमान समय का कुशीनगर ही उस समय ‘कुशनारा’ था

भगवन बुद्ध परिचय ।

इसे संयोग कहें या कुछ और ,भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक सामान तिथि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे , आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 180 करोड़ से भी ज्यादा लोग है, और इसे खूब धूमधाम से मनाते हैं।

यह त्यौहार भारत, सहित चीन, नेपाल और सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान तथा दुनिया के कई देशों में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

बुद्ध को ज्ञान प्राप्त करने में कितना समय लगा ?

घर के त्याग देने के पश्चात सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात साल तक वन में भटकते रहे। बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिन्दू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व यानि ज्ञान की प्राप्ति हुई।

तब से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बुद्ध की महापरिनिर्वाणस्थली कुशीनगर में स्थित महापरिनिर्वाण विहार पर एक माह का मेला लगता है। यद्यपि यह तीर्थ स्थान गौतम बुद्ध से संबंधित है, मगर आस-पास के क्षेत्र में हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है ,जो विहारों में पूजा-अर्चना करने वे श्रद्धा और विश्वास के साथ आते रहते हैं।

इस विहार का महत्व बुद्ध के महापरिनिर्वाण से है। इस मंदिर का वास्तुशिल्प। अजंता की गुफाओं से प्रेरित है। इस विहार में भगवान बुद्ध की लेटी हुई (भू-स्पर्श मुद्रा) 61 मीटर लंबी मूर्ति है। जो लाल बलुई मिट्टी से बनाई गयी है। यह विहार उसी स्थान पर बनाया गया है, जहां से यह मूर्ति निकाली गयी थी।

विहार के पूर्व हिस्से में एक स्तूप है। यहां पर भगवान बुद्ध को समाधिष्ट किया गया था। यह मूर्ति भी अजंता में बनी भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण मूर्ति की समान आकृति है ।

बुद्ध पूर्णिमा इस बार कब है ?

इस बार बुद्ध पूर्णिमा 23 मई 2024 को है, इसे बौद्ध धर्म का प्रमुख त्यौहार माना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण त्योहार है क्योंकि यह बुद्ध के जीवन की याद दिलाता है और उनके जीवन से मिलने वाली शिक्षाओं का उत्सव मनाता है, एवं सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है

बुद्ध पूर्णिमा के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब Buddh poornima FAQs

सवाल:-बुद्ध पूर्णिमा क्या है?
जवाब:-बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बोधि) और महापरिनिर्वाण (मृत्यु) के दिन को मनाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है।

सवाल:-बुद्ध पूर्णिमा कब मनाई जाती है?
जवाब:-बुद्ध पूर्णिमा हर साल वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अप्रैल या मई में पड़ती है।

सवाल:-बुद्ध पूर्णिमा को कहाँ सबसे प्रमुखता से मनाया जाता है?
जवाब:-यह त्योहार विशेष रूप से बौद्ध देशों जैसे नेपाल, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, तिब्बत और भूटान में प्रमुखता से मनाया जाता है।

सवाल:-बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या खास गतिविधियाँ होती हैं?
जवाब:-इस दिन लोग बुद्ध मंदिरों में जाते हैं, बुद्ध की मूर्तियों को स्नान कराते हैं, प्रवचन सुनते हैं, ध्यान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं।

सवाल:–बुद्ध पूर्णिमा का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
जवाब:-इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण हुआ था, जिससे यह दिन बौद्ध धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है।

Buddh poornima 2024

सवाल:-बुद्ध पूर्णिमा के दिन कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
जवाब:-इस दिन बुद्ध की प्रतिमा को स्नान कराया जाता है, प्रार्थनाएं की जाती हैं, भिक्षुओं को दान दिया जाता है और शांतिपूर्ण जीवन जीने की शिक्षा दी जाती है।

सवाल:-क्या बुद्ध पूर्णिमा केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाई जाती है?
जवाब:-हालांकि यह मुख्य रूप से बौद्ध धर्म का त्योहार है, लेकिन कई हिंदू भी इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।

सवाल:-बुद्ध पूर्णिमा का पर्यावरण और समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
जवाब:-इस दिन लोग अहिंसा, करुणा, और दान-पुण्य का पालन करते हैं, जिससे समाज में शांति और सद्भाव बढ़ता है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण की गतिविधियाँ भी होती हैं।

सवाल:-बुद्ध पूर्णिमा के दौरान कौन-कौन से व्यंजन बनते हैं?
जवाब:-बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर खासकर शाकाहारी भोजन बनाया जाता है, और विभिन्न मिठाइयाँ और फलों का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

सवाल:-बुद्ध पूर्णिमा का आधुनिक समाज में क्या महत्व है?
जवाब:-आधुनिक समाज में यह त्योहार शांति, अहिंसा, और करुणा का संदेश फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है। विभिन्न धार्मिक

और सामाजिक संगठनों द्वारा इसे बड़े स्तर पर मनाया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा का आयोजन समाज को गौतम बुद्ध के शिक्षाओं की याद दिलाता है और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है।

इन्हे भी पढ़ें . ।। बुद्ध को क्यों नहीं अपनाया गया भारत में ? ।। हिन्दू नव वर्ष 09 अप्रैल ।। हिंदू धर्म क्या है ।।

निष्कर्ष :

बुध पूर्णिमा का त्यौहार न केवल बौद्ध धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर भी है जो समस्त मानवता को शांति, करुणा और सच्चाई के मार्ग पर चलने का संदेश देता है। आपको हमारा आर्टिकल “Buddh poornima बुद्ध पूर्णिमा”कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर भी करें

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