Over 05 years we help companies reach their financial and branding goals. webtechguru is a values-driven technology agency dedicated.

Gallery

Contacts

support@webtechguru.in

Shiv Tandav

Shiv Tandav ke bare me vistar se jankari

Shiv Tandav ke bare me vistar se jankari परिचय: शिव तांडव स्तोत्र क्या है

“शिव तांडव स्तोत्र” एक अत्यंत शक्तिशाली संस्कृत रचना है, जो भगवान शिव के अद्भुत तांडव नृत्य का वर्णन करती है। यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा, सौंदर्य, शक्ति, और विनाशकारी–सृजनकारी स्वरूप का अद्भुत चित्रण है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से मन, शरीर और आत्मा तीनों की शुद्धि होती है। यह केवल एक भक्ति गीत नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का अनुभव कराने वाला एक शक्तिशाली मंत्र है।

इस स्तोत्र की रचना लंकेश्वर रावण (लंकाधिपति रावण) ने की थी, जब उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह अद्भुत स्तोत्र गाया था।

शिव तांडव स्तोत्र की उत्पत्ति की कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार रावण कैलाश पर्वत उठा ले जाने के उद्देश्य से हिमालय की ओर गया। रावण अत्यंत शक्तिशाली था और अहंकार में उसने पूरा कैलाश पर्वत उठाने का प्रयास किया। जब भगवान शिव ने देखा कि कोई उनका निवास स्थान उठाने की कोशिश कर रहा है, उन्होंने अपने अंगूठे से हल्का-सा दबाव दिया और पूरा पर्वत रावण के ऊपर आ गिरा।

रावण दर्द से चिल्लाने लगा, और जब उसे समझ आया कि वह किसी साधारण शक्ति से नहीं, बल्कि महादेव से भिड़ गया है, तो उसने अपने दस सिरों से भगवान शिव की आराधना शुरू की। उसने अपने शरीर के नसों को वीणा की तार बनाकर उस पर भगवान शिव की स्तुति गाई — यही स्तुति आगे चलकर “शिव तांडव स्तोत्र” के नाम से प्रसिद्ध हुई।

भगवान शिव रावण की भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे “चंद्रहास” नामक दिव्य तलवार दी। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्तोत्र जो भी श्रद्धा से पढ़ेगा, उसे अपार शक्ति, साहस, और आत्मबल प्राप्त होगा।

“तांडव” का अर्थ और उसका दार्शनिक महत्व

“तांडव” शब्द का अर्थ है — नृत्य, लेकिन यह कोई साधारण नृत्य नहीं है। यह सृष्टि के सृजन, पालन और संहार — तीनों चक्रों का प्रतीकात्मक नृत्य है। भगवान शिव का तांडव दर्शाता है कि जीवन में हर चीज परिवर्तनशील है — जन्म, मृत्यु, सृजन, विनाश, प्रेम, क्रोध — सब एक निरंतर चक्र में घूम रहे हैं।

शिव के तांडव को तीन प्रकार से समझा जाता है —

आनंद तांडव (सृजन का नृत्य): यह वह तांडव है जो आनंद, प्रेम और सृष्टि के विस्तार का प्रतीक है।

रौद्र तांडव (विनाश का नृत्य): जब भगवान शिव रौद्र रूप में तांडव करते हैं, तो वह अधर्म, अहंकार और बुराई के विनाश का प्रतीक है।

संध्य तांडव (संतुलन का नृत्य): यह सृजन और विनाश दोनों के बीच का संतुलन दिखाता है — जैसे दिन और रात, जीवन और मृत्यु का संगम।

शिव तांडव स्तोत्र के पद्य (संक्षेप में अर्थ सहित)

यह स्तोत्र कुल 16 श्लोकों का है। प्रत्येक श्लोक भगवान शिव के अलग-अलग रूप और उनकी अलौकिक शक्तियों का वर्णन करता है।

 प्रथम श्लोक:

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥

अर्थ:
भगवान शिव की जटाओं से गंगा का प्रवाह बह रहा है, उनके गले में सर्पों की माला है, और डमरू की ध्वनि से पूरा ब्रह्मांड गूंज रहा है। ऐसे चण्ड तांडव करने वाले शिव हमारे लिए कल्याणकारी हों।

द्वितीय श्लोक:

जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिंपनिर्झरी…

अर्थ:
जब शिव की जटाओं से गंगा बहती है, तो वह आकाशगंगा जैसी दिखती है। उनके गले की शोभा नीली और सफेद लहरों से बढ़ जाती है। यह सृष्टि की गति का प्रतीक है।

तृतीय श्लोक:

धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर…

अर्थ:
पार्वती जी शिव के साथ खेल रही हैं, और भगवान शिव ब्रह्मांड के पालन में मग्न हैं। उनकी मुस्कान से प्रेम और शक्ति दोनों झलकते हैं।

चतुर्थ श्लोक:

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा…

अर्थ:
शिव के ललाट से ज्वालाएँ निकल रही हैं, जो कामदेव के दहन की याद दिलाती हैं। यह आत्मसंयम और ज्ञान की शक्ति का प्रतीक है।

पंचम श्लोक:

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धर…

अर्थ:
शिव के शरीर पर राख लिपटी है, और उनका स्वरूप भयानक लेकिन पवित्र है। यह मृत्यु के ऊपर विजय का प्रतीक है।

6️⃣ से लेकर 16️⃣ तक के श्लोक:

इनमें भगवान शिव के विविध रूपों, सर्पों की माला, गले की नीलकंठता, डमरू की ध्वनि, त्रिशूल की शक्ति, और उनके द्वारा किए जा रहे ब्रह्मांडीय तांडव का वर्णन किया गया है।

शिव तांडव का आध्यात्मिक अर्थ

शिव का तांडव केवल नृत्य नहीं — यह एक ब्रह्मांडीय क्रिया है। जब शिव तांडव करते हैं, तो वह ब्रह्मांड के सभी तत्वों — अग्नि, जल, वायु, आकाश और पृथ्वी — को गति देते हैं।

तांडव का संदेश है —

“हर विनाश, किसी नए सृजन की शुरुआत है।”

यह हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे कितना भी अंधकार क्यों न हो, उसके बाद नया उजाला अवश्य आता है। तांडव हमें अहंकार छोड़कर सत्य, ऊर्जा, और संतुलन के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

शिव तांडव और विज्ञान

आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो, शिव तांडव ऊर्जा के परिवर्तन का प्रतीक है। जब शिव तांडव करते हैं, तो वह वास्तव में परमाणु स्तर पर हो रहे creation-destruction cycle का प्रतीक है —
जैसे अणु का विभाजन और पुनर्गठन।

भौतिकी में भी “energy can neither be created nor destroyed” कहा गया है — वही सिद्धांत शिव तांडव में दर्शाया गया है।
शिव का तांडव दर्शाता है कि ब्रह्मांड निरंतर परिवर्तनशील है। हर विनाश किसी नए निर्माण की नींव है।

शिव तांडव के लाभ (पाठ करने से मिलने वाले फल)

मानसिक शांति:

शिव तांडव स्तोत्र का उच्चारण मस्तिष्क की तरंगों को स्थिर करता है। यह ध्यान की अवस्था में ले जाता है।

ऊर्जा वृद्धि: इस स्तोत्र की ध्वनि ‘बीज मंत्रों’ जैसी शक्ति उत्पन्न करती है, जिससे शरीर में प्राणशक्ति बढ़ती है।

भय और नकारात्मकता से मुक्ति: कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस स्तोत्र का नियमित पाठ करता है, उसे किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा या भय प्रभावित नहीं कर पाता।

आत्मविश्वास में वृद्धि: रावण की तरह, यह स्तोत्र आत्मशक्ति और दृढ़ता प्रदान करता है।

कुंडलिनी जागरण: कुछ योगियों के अनुसार, शिव तांडव स्तोत्र का जाप शरीर के चक्रों को सक्रिय करता है।

शिव तांडव का नृत्यात्मक स्वरूप (नटराज रूप)

भगवान शिव का “नटराज रूप” विश्व-प्रसिद्ध है। दक्षिण भारत के चिदंबरम मंदिर में स्थित “नटराज मूर्ति” इस तांडव का जीवंत प्रतीक है।

नटराज मूर्ति में:

एक पैर से शिव राक्षस अपस्मार (अज्ञान) को दबाए हुए हैं — जो अंधकार और अज्ञान के अंत का संकेत है।

दूसरे पैर को ऊपर उठाया गया है — जो मुक्ति और ज्ञान का प्रतीक है।

एक हाथ में डमरू है — जो सृष्टि की शुरुआत की ध्वनि “ॐ” का प्रतीक है।

दूसरे हाथ में अग्नि है — जो विनाश और पुनर्जन्म का संकेत है।

बाकी दो हाथ “अभय मुद्रा” में हैं — जो भयमुक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक है।

इस प्रकार, नटराज का तांडव संपूर्ण ब्रह्मांड के सृजन, संरक्षण और विनाश का दार्शनिक प्रतीक है।

शिव तांडव का भावार्थ (जीवन में प्रयोग)

शिव तांडव हमें यह सिखाता है कि:

जीवन स्थिर नहीं है — परिवर्तन ही उसका स्वभाव है।

हर विनाश किसी नई रचना की भूमिका है।

क्रोध, विनाश, या विपत्ति में भी सृजन की संभावना होती है।

यदि हम अपने भीतर के अहंकार को त्याग दें, तो ईश्वर से एकाकार हो सकते हैं।

आज के समय में जब जीवन तनावपूर्ण और असंतुलित है, तब “शिव तांडव स्तोत्र” का नियमित जाप व्यक्ति को मानसिक, आध्यात्मिक और ऊर्जात्मक रूप से सशक्त बनाता है।

 शिव तांडव स्तोत्र पाठ की विधि

सुबह स्नान के बाद, शांत मन से शिवलिंग या शिव चित्र के सामने बैठें।

दीपक और धूप जलाएँ।

“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 11 बार जप करें।

फिर पूर्ण श्रद्धा से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें।

पाठ के बाद “हर हर महादेव” का जयघोष करें।

यदि संभव हो तो सोमवार या मासिक शिवरात्रि पर इसका पाठ अवश्य करें।

 सारांश (निष्कर्ष)
शिव तांडव स्तोत्र केवल भक्ति का गीत नहीं है — यह ब्रह्मांड की लय, ऊर्जा और संतुलन का सूत्र है।
यह हमें सिखाता है कि हर मनुष्य में शिव की शक्ति है — बस उसे जागृत करने की आवश्यकता है।

रावण ने अहंकार में यह स्तोत्र रचा, पर अंततः इसे गाकर वह खुद विनम्र भक्त बन गया।
यह दर्शाता है कि शिव की भक्ति अहंकार को मिटाकर आत्मज्ञान प्रदान करती है।

 अंतिम पंक्ति में शिव का आह्वान:

“हर हर महादेव!
जो शिव का तांडव सुनता है,
वह मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है,
और जो शिव के साथ नृत्य करता है,
वह स्वयं ब्रह्मांड बन जाता है।”

Author

vikas

✨ About Me मेरा नाम विकास है। मैं एक पैशनेट ब्लॉगर हूँ, जो अपने पाठकों के लिए हमेशा नई और जानकारीपूर्ण पोस्ट लेकर आता हूँ। मेरे ब्लॉग में आपको मिलेगी: 📌 सेलिब्रिटी की बायोग्राफी – उनके जीवन से जुड़ी प्रेरणादायक कहानियाँ। 📌 मोटिवेशनल कंटेंट – जो आपके जीवन को बेहतर दिशा देगा। 📌 टेक्निकल ज्ञान – आसान भाषा में टेक से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी। मेरा उद्देश्य है कि लोग मेरी पोस्ट पढ़कर न सिर्फ़ जानकारी हासिल करें बल्कि अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी हों। 🚀

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *